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महर्षि दयानन्द सरस्वती कृत "आर्याभिविनयः" (आर्यों की प्रार्थनाएँ) से उद्धृत
“ईश्वर के सत्यस्वरूप को जानकर उसकी आज्ञाओं का पालन ही धर्म है”
अभिवादन के लिए उत्तम शब्द नमस्ते जी.ही क्यों हे
"मर्यादाओं का पालन न करने वाला मनुष्य असभ्य एवं निन्दनीय है"
रामायण में उत्तर कांड के प्रक्षिप्त होने का प्रमाण
वेदों में योग और योग से होने वाली उपलब्धियाँ