ओ३म् अग्ने स्वाहा । ओ३म् सोमाय स्वाहा ।
ओ३म् अग्ने स्वाहा । ओ३म् सोमाय स्वाहा ।
ओ३म् अग्ने स्वाहा । ओ३म् सोमाय स्वाहा । यह मंत्र यज्ञ में हम बोलते हुए कहते हैं परमात्मा मेरे जीवन में अग्नि और सोम दोनों ही रहे । अग्नि और सोम का हमारे व्यवहार में क्या महत्व है ? इसको सुनने के लिए ,जानने के लिए आप इस वीडियो को पूरा देखें । वैदिक राष्ट्र यूट्यूब चैनल के माध्यम से #आज_का_वैदिक_विचार है -- अग्नि और सोम , माता -- पिता का पुत्र - पुत्री के साथ, आचार्य का शिष्य के साथ , पति का पत्नी और पत्नी का पति के साथ कैसे संबंध स्थापित हो ? इसमें अग्नि और सोम की क्या भूमिका है ? इसको समझने के लिए आप यह वीडियो पूरा देखें । इसी प्रकार से वैदिक सिद्धांतों को ,वैदिक दर्शन को ,सामाजिक -शारीरिक आत्मिक और सामाजिक मूल्यों को समझने के लिए एवं इन विषयों को जानने के लिए आप अवश्य वैदिक राष्ट्र यूट्यूब चैनल सब्सक्राइब करें । लाइक करें। शेयर करें कमेंट करें । धन्यवाद आचार्य भानु प्रताप वेदालंकार इंदौर मध्य प्रदेश आर्य समाज इंदौर मध्य प्रदेश गुरु विरजानंद गुरुकुल इंदौर मध्य प्रदेश धन्यवाद।