महाभारत का युध्ध है हमारे पतन का कारण
महाभारत का युध्ध है हमारे पतन का कारण
महाभारत का युध्ध है हमारे पतन का कारण
महाभारत के विश्वव्यापी युद्ध में सभी योद्धा, धर्माचार्य, विद्वान तथा राजनीतिज्ञ समाप्त हो गऐ
जीससे स्वार्थी और कम पढे-लिखे ब्राह्मण, विद्वान बन गए
और उन्होने अपना स्वार्थ सिद्ध करने तथा अपने पेट भरने के लिए अपने मत-मतान्तर चला दिए और वर्ण जो कर्म पर आधारित थे उनको जन्म से जाति के रूप में मानना आरम्भ कर दिया
और उन्होंने प्रचलित कर दिया कि ब्राह्मण के घर पैदा हुआ बालक ब्राह्मण ही होगा, चाहे वह वेद पढा-लिखा हो या अनपढ हो
अन्य जाति के लोग उसको ब्राह्मण समझकर ही सम्मान करेंगे
इससे हानि यह हुई कि ब्राह्मणो ने स्वयं वेदो को पढना छोड दिया और दूसरी जाति के लोगों से भी वेद पढने का अधिकार छीन लिया, यहां तक कि स्त्रियों और शुद्रो को तो वेद पढना पाप समझा जाने लगा
इससे वेद ज्ञान प्रायः लुप्त हो गया, जिससे अनेक प्रकार के अन्धविश्वास और पाखण्ड चल पडे
जैसे भूत-प्रेत, गण्डा-डोरी आदि प्रचलित हो गए, जिससे सही ईश्वर की उपासना, यज्ञ, सत्संग आदि छोड दिए गये
सभी वर्ण वाले अपना-अपना कर्तव्य छोडकर केवल अपने स्वार्थ में लिप्त हो गये
इससे केवल भारत ही नहीं बल्कि विश्व के सभी लोग पतन की ओर अग्रसर हो गये
जिससे आज मानव-मात्र की स्थिति बडी नाजुक हो गई है
सनातन धर्म को पुनर्स्थापित करने और समस्त मानव कल्याण के लिए संपूर्ण जाति को अपने मूल सनातन 4 वेदो की ओर लौटना ही होगा और अपने पूर्वजों और ऋषि महर्षीओ के प्रति कृतज्ञता दर्शाते हुए हरसंभव वेदानुकूल आचरण करना ही होगा