वेद मंत्र 

वेद मंत्र 

वेद मंत्र 

ओ३म्

ओ३म् अरिष्ट: स मर्तो विश्व एधते प्र प्रजाभिरर्जायते धर्मणस्परि । यमादित्यासो व्यथा सूनीतिभिरति विश्वानि दुरिता स्वस्तये (ऋग्वेद १०|६३|१३)

अर्थ  :- हे आदित्य ब्रह्मचारियो, विद्वानों ! जिस मनुष्य को आप सुन्दर मार्ग पर ले जाते हो, वह मनुष्य किसी से पीड़ित न होता हुआ संसार में उन्नति करता है और धर्म पालन करता हुआ प्रथाओं, पुत्र-पौत्रादि से फलता फूलता है।