आज का वेदमंत्र-18.3.2020
आज का वेदमंत्र-18.3.2020
पूर्वे अर्धे रजसो अप्त्यस्य गवां जनित्र्यकृत प्र केतुम्।
व्यु प्रथते वितरं वरीय ओभा पृणन्ती पित्रोरुपस्था॥ ऋग्वेद १-१२४-५।।
पूर्व से उगने वाली उषा अपने द्यावापृथ्वी रूपी माता पिता की गोद में बैठ कर आधे जगत को प्रकाशमय कर देती है। उसी प्रकार विद्वान मनुष्यों को सर्वत्र अपने ज्ञान दीपक से प्रकाश करने का यत्न करना चाहिए।
Dawn, who rises from the east, by sitting in the lap of her parents (heaven and earth) displays the banner of light and fills up the eastern half with light. In the same way, learned men should strive to light with their knowledge lamp everywhere.