वैदिक विचार
वैदिक विचार

रात को आनन्ददायक नींद लेने के लिए, दिन में ईमानदारी से जीवन जीना होगा।
आज का व्यक्ति अपने दिन भर के कर्मों के परिणाम से बेखबर, यूं ही कर्म करता जाता है, जैसे कोई नशे में चल रहा हो। व्यक्ति विचार ही नहीं करता, कि मैं जो कुछ कर्म कर रहा हूं, इन कर्मों का क्या परिणाम या फल मिलेगा? इस विषय में लापरवाही के कारण उसके जीवन में अनेक समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
वह विचार ही नहीं करता कि मैं दिन में किस-किस प्रकार के अच्छे या बुरे कर्म कर रहा हूं! झूठ छल कपट अन्याय शोषण व्यर्थ किसी का मजाक उड़ाना चोरी रिश्वत हेरा फेरी मन में बुरी योजनाएं बनाना गंदी फिल्में देखना गंदी बातें करना नास्तिकता आदि दोषों से ग्रस्त होकर वह दिनभर कुछ भी काम करता रहता है। इन बुरे कर्मों के अतिरिक्त कुछ अच्छे काम भी करता है। परंतु वह मानता यह है कि मैं बिल्कुल ठीक हूं, मैं तो अच्छे काम ही करता हूं, मैं बुरे काम कहां करता हूं? अर्थात नहीं करता हूं।
उसके चिंतन में यह दोष या कमी रहती है, कि वह अपने बुरे कर्मों को तो ओझल कर देता है, और अच्छे कर्मों को बार-बार देखता दोहराता और दूसरों को बताता रहता है। जब कोई चर्चा होती है तो अपने अच्छे कर्मों का तो खूब व्याख्यान करता है, परंतु यह नहीं बताता कि मैं गड़बड़ कितनी करता हूं!
जिसका परिणाम यह होता है कि उसे यह भ्रांति उत्पन्न हो जाती है कि "मैं तो सिर्फ अच्छे काम ही करता हूं, बुरे काम तो करता ही नहीं।" परंतु इस भ्रांति से उसका कल्याण होने वाला नहीं है। ईश्वर तो प्रत्येक कर्म को देखता ही है, उन कर्मों का हिसाब भी रखता है। समय आने पर ठीक-ठीक फल भी देता है। और दिन भर भी ईश्वर हमारे कर्मों का फल तत्काल देता रहता है। उदाहरण के लिए - आप जैसे ही झूठ बोलेंगे, ईश्वर तत्काल आपके मन में तनाव चिंता टेंशन उत्पन्न कर देगा। जिसका परिणाम यह होगा कि आप दिन भर अशांत रहेंगे, न भूख अच्छी लगेगी, न खाना अच्छा लगेगा, न काम में मन लगेगा। क्योंकि ईश्वर का दंड चिंता तनाव के रूप में, आपके मन में चालू है। और यह सिर्फ दिनभर ही आपको परेशान नहीं करेगा, रात को आपकी नींद भी खराब करेगा। नींद नहीं आएगी। देर से आएगी। आएगी तो अच्छी नहीं आएगी। जैसे तैसे रात कट जाएगी। परंतु बढ़िया आनंददायक निद्रा का अनुभव आप नहीं कर पाएंगे। यदि आनंददायक निद्रा का लाभ लेना हो, तो आप दिन में ईश्वर आज्ञा का पालन करें। सब बुरे काम बंद करके अच्छे काम ही करें। सब काम न्याय पूर्वक ही करें। इससे आप दिन भर तो प्रसन्न रहेंगे ही, और रात्रि में भी बहुत आनंददायक निद्रा का लाभ ले पाएँगे।
- स्वामी विवेकानंद परिव्राजक
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