कैसा भोजन करना चाहिए
कैसा भोजन करना चाहिए
कैसा भोजन करना चाहिए
आयुःसत्त्वबलारोग्यसुखप्रीतिविवर्धनाः । रस्याः स्निग्धाः स्थिरा हृद्या आहाराः सात्त्विकप्रियाः ।। कट्वम्ललवणात्युष्णतीक्ष्णरूक्षविदाहिनः । आहारा राजसस्येष्टा दुःखशोकामयप्रदाः ।। यातयामं गतरसं पूति पर्युषितं च यत्। उच्छिष्टमपि चामेध्यं भोजनं तामसप्रियम् ।।
(गीता १७.८-१०)
आयु, सत्त्वगुण, बल, आरोग्य, सुख और प्रसन्नता बढ़ानेवाले, स्थिर रहनेवाले, हृदय को शक्ति देनेवाले, रसयुक्त तथा चिकने भोजन के पदार्थ 'सात्त्विक' मनुष्य को प्रिय होते हैं।
अति कड़वे, अति खट्टे, अति नमकीन, अति गरम, अति तीखे, अति रूखे और अति दाहकारक भोजनके पदार्थ 'राजस' मनुष्य को प्रिय होते हैं, जो कि दुःख, शोक और रोगों को देनेवाले हैं।
जो भोजन सड़ा हुआ, रसरहित, दुर्गन्धित, बासी और झूठा है तथा जो महान् अपवित्र (मांस, मछली, अण्डा आदि) है, वह 'तामस' मनुष्य को प्रिय होता है।
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