आज का हिन्दू पंचांग - 20 मार्च 2020

आज का हिन्दू पंचांग - 20 मार्च 2020

आज का हिन्दू पंचांग - 20 मार्च 2020


 दिनांक 20 मार्च 2020
 दिन - शुक्रवार 
 विक्रम संवत - 2076
 शक संवत - 1941
 अयन - उत्तरायण
 ऋतु - वसंत
 मास - चैत्र (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार - फाल्गुन)
 पक्ष - कृष्ण 
 तिथि - द्वादशी पूर्ण रात्रि तक
 नक्षत्र - श्रवण शाम 05:05 तक तत्पश्चात धनिष्ठा
 योग - शिव दोपहर 11:53 तक तत्पश्चात सिद्ध
 राहुकाल - दोपहर11:04 से 12:34 तक 

सूर्योदय - 06:43
 सूर्यास्त - 18:48 
 दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
 व्रत पर्व विवरण - पापमोचनी एकादशी (भागवत), द्वादशी वृद्धि तिथि
  विशेष - हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है lराम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।
 आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l
 एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।
 एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है | एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है।
 जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।
               

 वारुणी योग 
 वारुणी योग चैत्र माह में बनने वाला एक पुण्यप्रद महायोग है जिसका वर्णन विभिन्न पुराणों में मिलता है। यह महायोग तीन प्रकार का होता है।
 चैत्र कृष्ण त्रयोदशी को शतभिषा और शनिवार हो तो महावारुणी (21 मार्च 2020 शनिवार को रात्रि 07:40 से 22 मार्च सूर्योदय तक)
 चैत्र कृष्ण त्रयोदशी को वारुण नक्षत्र (शतभिषा) हो तो वारुणी योग (22 मार्च 2020 रविवार को सूर्योदय से सुबह 10:10 तक)
 चैत्र कृष्ण त्रयोदशी को शतभिषा नक्षत्र, शनिवार और शुभ योग (कुल 27 योगों में से 23वां योग) हो तो महामहावारुणी पर्व होता है।
 इस महायोग में गंगा आदि तीर्थ स्थानों में स्नान, दान और उपवास करने से करोड़ों सूर्य ग्रहणों के समान फल प्राप्त होता है।
 आइये देखते हैं विभिन्न शास्त्र क्या कहते हैं
 भविष्यपुराण के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी यदि शनिवार या शतभिषा से युक्त हो तो वह महावारुणी पर्व कहलाता है | इसमें किया गया स्नान, दान एवं श्राद्ध अक्षय होता है।
 चैत्रे मासि सिताष्टम्यां शनौ शतभिषा यदि । गंगाया यदि लभ्येत सूर्यग्रहशतैः समा ।।
सेयं महावारुणीति ख्याता कृष्णत्रयोदशी । अस्यां स्नानं च दानं च श्राद्धं वाक्षयमुच्यते ।।
 नारदपुराण
वारुणेन समायुक्ता मधौ कृष्णा त्रयोदशी ।।
गंगायां यदि लभ्येत सूर्यग्रहशतैः समा ।। ४०-२० ।।
 स्कन्दपुराण
"वारुणेन समायुक्ता मधौ कृष्णा त्रयोदशी। गङ्गायां यदि लभ्येत सूर्यग्रहशतैः समा॥
शनिवारसमायुक्ता सा महावारुणी स्मृता। गङ्गायां यदि लभ्येत कोटिसूर्यग्रहैः समा॥"
 देवीभागवत पुराण 
"वारुणं कालिकाख्यञ्च शाम्बं नन्दिकृतं शुभम्।
सौरं पाराशरप्रोक्तमादित्यं चातिविस्तरम्॥"
 त्रिस्थलीसेतु
चैत्रासिते वारुणऋक्षयुक्ता त्रयोदशी सूर्यसुतस्य वारे।
योगे शुभे सा महती महत्या गंगाजलेर्कग्रहकोटितुल्या।।
 विशेष ~ 21 मार्च 2020 शनिवार को (रात्रि 07:40 से 22 मार्च सूर्योदय तक) महावारुणी योग है ।
 22 मार्च 2020 रविवार को सूर्योदय से सुबह 10:10 तक) वारुणी योग है ।
               

शनि प्रदोष 
 
शनिवार को प्रदोषकाल में त्रयोदशी तिथि हो तो उसे शनिप्रदोष कहा जाता है। 
 21 मार्च 2020 को शनि प्रदोष है।
 शनिप्रदोष व्रत की महिमा अपार है | स्कन्दपुराण में ब्राह्मखंड - ब्रह्ममोत्तरखंड में हनुमान जी कहते हैं कि 
एष गोपसुतो दिष्ट्या प्रदोषे मंदवा सरे । अमंत्रेणापि संपूज्य शिवं शिवमवाप्तवान् ।।
मंदवारे प्रदोषोऽयं दुर्लभः सर्वदेहिनाम् । तत्रापि दुर्लभतरः कृष्णपक्षे समागते ।।
 एक गोप बालक ने शनिवार को प्रदोष के दिन बिना मंत्र के भी शिव पूजन कर उन्हें पा लिया। शनिवार को प्रदोष व्रत सभी देहधारियों के लिए दुर्लभ है। कृष्णपक्ष आने पर तो यह और भी दुर्लभ है।
 संतान प्राप्ति के लिए शनिप्रदोष व्रत एक अचूक उपाय है।
 विभिन्न मतों से शनिप्रदोष को महाप्रदोष तथा दीपप्रदोष भी कहा जाता है। कुछ विद्वान केवल कृष्णपक्ष के शनिप्रदोष को ही महाप्रदोष मानते हैं।
 ऐसी मान्यता है की शनिप्रदोष का दिन शिव पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ है। अगर कोई व्यक्ति लगातार 4 शनिप्रदोष करता है तो उसके जन्म जन्मांतर के पाप धूल जाते हैं साथ ही वह पितृऋण से भी मुक्त हो जाता है।