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“देवयज्ञ अग्निहोत्र करने से मनुष्य पाप से मुक्त व सुखों से युक्त होते हैं”
"मनसा परिक्रमा मंत्र" संध्या नवधा भक्ति का एक रूप है!
‘वेद के सिद्धान्तों एवं मान्यताओं का प्रचारक प्रमुख ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश’
‘वेदों के प्रचार से अविद्या दूर होने सहित विद्या की प्राप्ति होती है’
मनुष्य को अपने सभी शुभ व अशुभ कर्मों का फल भोगना पड़ता है”
“हमारा यह संसार इससे पहले अनन्त बार बना व नष्ट हुआ है”
“ईश्वर की उपासना से उपासक को ज्ञान व ऐश्वर्य प्राप्त होते हैं”
ब्रह्मचर्यादि चार आश्रमों में गृहस्थ आरम्भ ही ज्येष्ठ है”
पेरियार द्वारा ईश्वर पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर --- स्वामी पुण्यदेव
‘ईश्वर, वेद और ऋषि दयानन्द के सच्चे अनुयायी स्वामी श्रद्धानन्द’
वेदज्ञान सृष्टि में विद्यमान ज्ञान के सर्वथा अनुकूल एवं पूरक है”