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देशान्नति के लिए असत्य का खण्डन और सत्य का मण्डन आवश्यक है”
“ईश्वर ने हम जीवात्माओं को मनुष्य क्यों बनाया?”
“राम का वनगमन से पूर्व अपने पिता दशरथ व माता से प्रशंसनीय संवाद”
“ऋषि दयानन्द ने अविद्या दूर करने सहित संसार का महान उपकार किया
"मनुष्य को सृष्टिकर्ता ईश्वर के उपकारों को जानकर कृतज्ञ होना चाहिये”
“अपने देश व देशवासियों से प्रेम न करने वाला व्यक्ति सच्चा धार्मिक नहीं होता”
“वैदिक धर्मियों के लिये राष्ट्र वन्दनीय है तथा सत्यार्थप्रकाश इसका पोषक है”
धर्म सत्कर्तव्यों के ज्ञान व पालन और असत् कर्मों के त्याग को कहते हैं”
“वेदों की प्रमुख देन ईश्वर, जीव तथा प्रकृति विषयक त्रैतवाद का सिद्धान्त”
ऋषि दयानन्द को शिवरात्रि को हुए बोध से विश्व से अविद्या दूर हुई
“ईश्वर के उपकारों को जानकर उसकी उपासना करना मुख्य कर्तव्य है
हमें दैनिक अग्निहोत्र यज्ञ कर अपने घर की वायु को सुगन्धित करना चाहिये”
ऋषि दयानन्द ने न्याय को दृष्टिगत पर सामाजिक सुधार कार्य किए”
“जीवात्मा स्वस्थ एवं बलवान शरीर को ही धारण करती है अन्य नहीं”
“स्वाध्याय करने से अज्ञान का नाश तथा ज्ञान की वृद्धि होती है”
सभी मनुष्यों को वेद की मर्यादाओं का पालन करना चाहिये”