३३ करोड़ देवता

३३ करोड़ देवता

३३ करोड़ देवता

३३ करोड़ देवता
 

      प्रश्न - मनुष्य तो ३३ करोड़ देवता बतलाते हैं, तुम ३३ कहते हो। तुम्हारे इस कथन को किस प्रकार स्वीकार किया जाए? यदि कोई प्रमाण अथवा युक्ति हो तो देनी चाहिए। 

      उत्तर - बृहदारण्यक उपनिषद् में जनक ने याज्ञवल्क्य ऋषि से पूछा कि कितने देवता हैं? उत्तर मिला कि -

      ऋयस्त्रिँ्शदित्योमिति।
      अर्थ - तैतीस देवता और एक 'ओ३म्' महादेव है। आगे फिर कहा कि -

      कतमेते त्रयस्त्रिँ्शदित्यष्टौवसव एकादश रुद्रा द्वादशादित्यास्त एकत्रिँ्शदिन्द्रश्च प्रजापतिश्च त्रयस्त्रिँ्शो इति।
      अर्थ - वे ३३ देवता कौन - से हैं?  ८ वसु, ११ रुद्र, १२ आदित्य, १ इन्द्र, १ प्रजापति ये सब मिलकर ३३ हो जाते हैं। 

      प्रश्न - आठ वसु कौन - से हैं? 
      उत्तर - अग्नि, पृथिवी, वायु, अन्तरिक्ष, आदित्य, द्यौ, चन्द्रमा, नक्षत्र - ये प्रश्न - ११ रुद्र कौन - से हैं? 
     उत्तर - दश प्रश्न - १२ आदित्य कौन - से हैं? 
      उत्तर - वर्ष के १२ मास। 

      प्रश्न - इन्द्र कौन हैं ? 
      उत्तर - बिजली (विद्युत) ही इन्द्र है। 

      प्रश्न - प्रजापति कौन है? 
      उत्तर - यज्ञ प्रजापति है।

      प्रश्न - क्या ये ३३ देव उपासना करने योग्य है?
      उत्तर - नही , देवता दिव्य गुणों से युक्त होने के कारण कहाते हैं जैसी कि पृथिवी, परन्तु इस को कहीं ईश्वर वा उपासनीय नहीं माना है। 

प्रस्तुति -  ‘अवत्सार’

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