ओ३म् अयन्त इध्म आत्मा---काव्यार्थ
प्रजापते परमेश्वर अग्नि शरण आपकी आये हैं।
तेज ज्ञान से हमें बढ़ाओ इध्म (ईंधन) आत्मा लाये हैं।
जैसे जगमग समिधा बढ़ती घृत साकल्य को पाकर के।
वैसे हमें ले चलो भगवन जग धन और निजता भर के।
प्रजा पशु ब्रह्मतेज अन्न सुसमिद्ध से जीवन भरा रहे।
करें कर्म तव शरण में रह कर विमल ज्ञान से हरा रहे।।