ताम्बे के बर्तन में पानी पीने के फायदे
ताम्बे के बर्तन में पानी पीने के फायदे
तांबा का प्रयोग पानी पीने के बर्तन बनाने में किया जाता रहा है. अगर तांबे के बरतन में रखा पानी कुछ अशुद्ध है तो यह कुछ ही घंटो में पानी के साथ प्रतिक्रिया करके शुद्ध हो जाता है.
आजकल किसी भी घर की रसोई में देखें तो ज्यादातर बर्तन Stainless steel, कुछेक एल्युमीनियम, कांच, चीनी मिटटी के होंगे. याद करें पहले गांवों और शहरों में भी बहुत तरह के धातु से बने बर्तनों का उपयोग किया जाता था जैसे लोहा, कांसा, पीतल, तांबा, लकड़ी, चाँदी आदि.
तांबे के बर्तन में पानी क्यों पियें
– यह हमारे पाचन तंत्र को सुधारता है.
– वजन कम करने में सहायक है.
– घावों को जल्दी भरता है.
– बुढ़ापे की दर को कम करता है.
– हमारे हृदय तंत्र को पुष्ट करता है और हाइपरटेंशन में लाभदायक है.
– कैंसर का प्रतिरोधक है.
– बैक्टीरिया को मारता है.
– दिमाग को स्टीमुलेट करता है.
– थायराइड को नियंत्रित करता है.
– संधिवात और जोड़ों की सूजन कम करता है.
– खून की कमी दूर करता है.
– कोलेस्ट्रोल कम करता है.
– लीवर, स्प्लीन और लिंफ सिस्टम के लिए टॉनिक का काम करता है.
– मैलेनिन की रक्षा करता है.
– शरीर को लौह तत्व एब्सॉर्ब करने में सहायक है.
– किडनियों को साफ करता है.
– बालो की हर प्रकार की समस्या को दूर है.
– नियमित उषाकाल में इस पात्र के रखे जल को पीने से कब्जियत दूर होता है.
तांबे के बर्तन का प्रयोग
यह बात सही है कि भूतकाल में हमारे भारत में कई कुरीतियाँ-बुराइयाँ फैली थी, पर उस जमाने में विद्वानों, विचारकों के साथ ही साथ कई वैज्ञानिक और अनुसंधानकर्ता भी थे जो अपने प्रयोगों से प्रकृति के रहस्यों को उजागर करने का प्रयास करते रहते थे.
बर्तनों को उनके कार्य और उपयोग के हिसाब से अलग अलग धातुओं से बनाया जाता था क्योकि इनसे में कुछ धातुओं के बर्तन उनमे रखे जाने वाले भोज्य पदार्थ से रासायनिक प्रतिक्रिया करने लगते थे.
अतः इस बात का ध्यान रखा जाता था कि बर्तनों को धातु के गुण के अनुसार सही उपयोग में ही लाया जाये.
– तांबा के बर्तन में रखा पानी रासायनिक प्रतिक्रिया करके जीवाणुनाशक बन जाता है. यह ताम्बे का पानी स्वास्थ्य के अत्यंत लाभकारी होता है. यह पानी रक्त को शुद्ध करता है, पाचन तंत्र सुदृढ़ करता है.
– तांबे के बर्तन में रखे पानी में जीवाणुरोधी, एंटीऑक्सीडेट , कैंसररोधी और एंटीइन्फ्लेमेटरी गुण आ जाते हैं.
– वर्ष 2012 में हुई एक स्टडी में पता चला था कि सामान्य तापमान पर तांबे के बर्तन में 16 घंटे तक रखने पर दूषित पानी में मौजूद हानिकारक जीवाणुओं की संख्या में कमी आ गई थी.
वैज्ञानिको ने प्रयोग के तौर पर ऐसे पानी को लिया कि जिसमे पेट के पेचिश रोग को पैदा करने वाले वायरस, अमीबा ई-कोली थे. कुछ घंटो के पर्यवेक्षण के बाद वैज्ञानिको ने देखा कि हानिकारक बैक्टीरिया पूरी तरह से समाप्त हो चुके थे.
– भारत में तो लोग सदियों से इस बात को जानते हैं कि तांबे के बर्तन में रखे पानी में औषधीय गुण आ जाते हैं.
एक रिसर्च में यह पता चला कि अस्पतालों में तांबे की सतहों की मौजूदगी से ICU में पाए जानेवाले 97 प्रतिशत बैक्टीरिया नष्ट हो गए, जिनसे होनेवाले इन्फेक्शंस में 40 प्रतिशत की कमी आई.
इन्ही खूबियों को जानकर पहले समय के लोग तांबे के पात्र पानी रखने और पीने के काम लेते थे.
– भारतीय योगी सद्गुरु जग्गी वासुदेव कहते हैं – तांबे के पात्र में रात भर या कम से कम चार घंटे तक रखे गए पानी में तांबा धातु के वे गुण व्याप्त हो जाते हैं जिनसे शरीर, विशेषकर हमारे लीवरको बहुत लाभ पहुंचता है. यह शरीर को स्वस्थ और ऊर्जावान रखता है.
– हमें ऐसे लगता है कि बड़े बड़े अमीर लोग, हीरो-हिरोइन वगैरह किसी दूसरी दुनिया के बने खान-पान का प्रयोग करते हैं , ऐसा बिलकुल भी नहीं है.एक इंटरव्यू में करीना कपूर, मलाइका अरोरा ने बताया कि सुबह उठने पर सबसे पहले वो रात भर तांबे के जग में रखा हुआ पानी पीते है.
ताम्बे के बर्तन कैसे साफ़ करे –
जिस तांबे के बर्तन से आप पानी पीते हैं वह बर्तन एक दो दिन में धुलना अवश्य चाहिए. इसका कारण यह है कि तांबा पानी के साथ प्रतिक्रिया करके कॉपर ऑक्साइड बना देता है जोकि जंग जैसा बर्तन की दीवारों पर जम जाता है. इसे साफ करना आवश्यक है अन्यथा यह पानी तांबा धातु के लाभदायक फायदे नहीं दे पायेगा. व तांबे के पात्र से पानी पीते वक्त नंगे पांव न रहें व इस पात्र के रखे जल को कभी भी गर्म करके नहीं पीना चाहिए
बरसात के मौसम में हर इंसान को पूरे दिन इसी पात्र का रखा जल ही सेवन करना चाहिये व अन्य मौसम में उषाकाल में मात्र व किसी कॉपर की कमी से उतपन्न रोग से ग्रसित हो तो कभी भी
तांबे के बरतन साफ करने का आसान उपाय है. नींबू, खटाई, केचप या नमक और सफ़ेद सिरका से ताम्बे के बर्तन रगड़ें और दाग छुड़ा लें. इसके बाद किसी डिटरजेंट से धुल दें. बर्तन एकदम नए चमकने लगेंगे.
आजकल तांबे के बने बर्तनों के प्रयोग बस तांबे के छोटे से लोटे के रूप में होता है, जिसे घर-मंदिर में पूजा पाठ और सूर्य को अर्घ्य देने में प्रयोग किया जाता है.